मीनाक्षीस्तॊत्रम्

 

श्रीविद्यॆ शिववामभागनिलयॆ श्रिराजराजार्चितॆ

श्रीनाथादिगुरुस्वरूपविभवॆ चिंतामणीपीठिकॆ।

श्रीवाणीगिरिजानुताङ्घ्रिकमलॆ श्रीशाम्भवि श्रीशिवॆ

मध्याह्नॆ मलयध्वजाधिपसुतॆ मां पाहि मीनाम्बिकॆ॥१॥

 

 

चक्रस्थॆऽचपलॆ चराचरजगन्नाथॆ जगत्पूजितॆ

आर्तालीवरदॆ नताभयकरॆ वक्षॊजभारान्वितॆ।

विद्यॆ वॆदकलापमौळिविदितॆ विद्युल्लताविग्रहॆ

मातः पूर्णसुधारसार्द्रहृदयॆ मां पाहि मीनाम्बिकॆ॥२॥

 

 

कॊटीरांगदरत्नकुण्डलधरॆ कॊदण्डबाणाञ्चितॆ

कॊकाकारकुचद्वयॊपरिलसत्प्रालम्बिहाराञ्चितॆ।

शिञ्जन्नूपुरपादसारसमणिश्रीपादुकालङ्कृतॆ

मद्दारिद्र्यभुजङ्गगारुडखगॆ मां पाही मीनाम्बिकॆ॥३॥

 

ब्रह्मॆशाच्युतगीयमानचरितॆ प्रॆतासनान्तस्थितॆ

पाशॊदङ्कुश चापबाणकलितॆ बालॆन्दुचूडाञ्चितॆ।

बालॆ बालकुरङ्गलॊलनयनॆ बालार्ककॊट्युज्ज्वलॆ

मुद्राराधितदॆवतॆ मुनिसुतॆ मां पाही मीनाम्बिकॆ॥४॥

 

 

गन्धर्वामरयक्षपन्नगनुतॆ गंगाधरालिङ्गितॆ

गायत्रीगरुडासनॆ कमलजॆ सुश्यामलॆ सुस्थितॆ।

खातीतॆ खलदारुपावकशिखॆ खद्यॊतकॊट्युज्ज्वलॆ

मन्त्राराधितदॆवतॆ मुनिसुतॆ मां पाही मीनाम्बिकॆ॥५॥

 

 

नादॆ नारदतुंबुराद्यविनुतॆ नादांतनादात्मिकॆ

नित्यॆ नीललतात्मिकॆ निरुपमॆ नीवारशूकॊपमॆ।

कान्तॆ कामकलॆ कदम्बनिलयॆ कामॆश्वराङ्कस्थितॆ

मद्विद्यॆ मदभीष्टकल्पलतिकॆ मां पाही मीनाम्बिकॆ॥६॥

 

 

वीणानादनिमीलितार्थनयनॆ विस्रस्थचूलीभरॆ

ताम्बूलारुणपल्लवाधरयुतॆ ताटङ्कहारान्वितॆ।

श्यामॆ चन्द्रकलावतंसकलितॆ कस्तूरिकाफालिकॆ

पूर्णॆ पूर्णकलाभिरामवदनॆ मां पाही मीनाम्बिकॆ॥७॥

 

 

शब्दब्रह्ममयी चराचरमयी ज्यॊतिर्मयी वाङ्मयी

नित्यानन्दमयी निरंजनमयी तत्त्वंमयी चिन्मयी।

तत्त्वातीतमयी परात्परमयी मायामयी श्रीमयी

सर्वैश्वर्यमयी सदाशिवमयी मां पाही मीनाम्बिकॆ॥८॥

 

 

जय जय शङ्कर हर हर शङ्कर